आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में घोटाले की जांच करने का जिम्मा उन्हीं का जो दोषी हैं

शीर्ष अधिकारियों के अचानक आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय से नदारद होने से व्यवस्थाएं चरमराई

जबलपुर – एफडीआर में गड़बड़ी के मामले में फंसा मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयू) प्रबंधन, इस मामले में गठित जांच कमेटी के सदस्यों के चयन को लेकर फिर विवादों में है। जो लोग एफडी बनाने के दौरान हुई बैठक में शामिल थे उन्हीं में से कुछ सदस्यों को जांच कमेटी में शामिल करने को लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस बीच एफडी मामले के साथ हालहीं में संविदा कर्मी महिला कर्मियों के साथ कथित तौर पर अभद्र व्यवहार के आरोपों से घिरे एमयू के वित्त नियंत्रक रवि शंकर डिकाटे की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। जांच कमेटी पर उठ रही अंगुलियों के बीच प्रबंधन के शीर्ष अधिकारियों के अचानक एमयू से नदारद होने से जहाँ व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं वहीं जांच पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। किस आधार पर बनाई कमेटी पूर्व में अन्य मामलों की जांच में जहाँ रिटार्यड जस्टिस त्रिवेदी, सायबर क्राइम, आईटी और फायनेंस के विशेषज्ञों की टीम ने मामले में जांच की थी वहीं इस बार एमयू प्रबंधन द्वारा गठित जांच कमेटी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो एफडीआर बनाने वाली कमेटी की बैठक में शामिल पूर्व कुलपति गोविंद प्रसाद मिश्रा और ईसी मैंबर डॉ. परवेज अहमद सिद्दिकी के साथ एक भी व्यक्ति वित्त विभाग का न लिए जाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कमेटी में बाहरी सदस्य अखिलेश जैन को शामिल करने को लेकर भी अंगुलियां उठाई जा रही हैं। ईसी सदस्यों ने की थी ईओडब्ल्यु जांच की मांग अरबों रुपए की एफडी के मामले में हुई गड़बड़ी के विषय में जहाँ एमयू की पूर्व कार्यपरिषद (ईसी) बैठके हंगामेदार रहीं और छात्र संगठनों ने जमकर प्रदर्शन किया वहीं कथित एफडीआर घोटाले सहित अन्य आर्थिक अनियमितताओं की आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यु) से जांच की मांग को लेकर ईसी सदस्य डॉ. पवन स्थापक और डॉ. सुनील राठौड़ सहित अन्य अड़े रहे। एमयू के वित्त नियंत्रक, कुलसचिव पर गंभीर आरोप मप्र छात्र संगठन(एमपीएसयू) ने एफडीआर (सावधि) के नवीनीकरण न कराए जाने से अरबों रुपये के घोटाले के मामले एमयू प्रबंधन के साथ कुलसचिव डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल एवं वित्त नियंत्रक रविशंकर डिकाटे के पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रदर्शन कर राज्यपाल के नाम ज्ञापन भी प्रेषित किया था। उक्त अधिकारियों पर न सिर्फ एमयू को बल्कि शासन को भी करोड़ों का नुकसान पहुँचाने का आरोप लगाया गया। संगठन ने उक्त अधिकारियों के खिलाफ विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा ९(१) के प्रावधान के अनुसार जांच कर कार्रवाई की मांग की गई। हालहीं में सामने आई एफडीआर में हुई गड़बड़ी ज्ञात हो कि हालहीं में स्थानीय निकाय संपरीक्षा के ऑडिट में विनियोजन राशि (एफडीआर) के नवीनीकरण न किए जाने को ऑडिट में त्रुटिपूर्ण पाया गया। ऑडिट में स्पष्ट कहा गया कि एफडीआर के नवीनीकरण नहीं कराए गए हैं तथा ऑडिट में प्रस्तुत विनियोजन पंजी को किसी भी सक्षम अधिकारी द्वारा प्रमाणित नहीं किया गया है। एफडीआर की परिपक्वता तिथी में नवीनीकरण नहीं कराया गया है, जिसके फलस्वरूप अगस्त 2022 में 30 करोड़ ९६ लाख ९७ हजार ९ सौ सत्ताइस, माह सितंबर 2022 में ९ करोड़ ११ हजार इक्कीस, अक्टूबर 2022 में ३४ करोड़ ५४ लाख ३१ हजार १ सौ ९४ रुपए, माह नवंबर 2022 में २६ करोड़ ८३ लाख ४६ हजार ५ सौ ८ रुपए, माह दिसंबर 2022 में ८ करोड़ ७४ लाख १३ हजार ९९३ एवं जनवरी 2023 में १० करोड़ ८१ लाख ६५ हजार १ सौ ५७ रुपए, इस तरह की १ अरब 20 करोड़ ९० लाख ६५ हजार ८ सौ रुपए की एफडीआर नवीनीकरण के अभाव में ब्याज राशि की क्षति होना प्रतीत हो रहा है। सूत्रों की मानें तो ये त्रुटि तब सामने आई है जबकि अभिलेख जैसे कैशबुक विनियोजन पंजी, स्कंध पंजी, डाक पंजी, मनी पासेज एवं स्टांप ड्यूटी आदि के सत्यापन में भी कई कमियां पाई गईं हैं। सूत्रों के अनुसार गड़बड़ी का आंकड़ा अरबों रुपए तक भी पहुँच सकता है। आउटसोर्स महिला कर्मियों ने दर्ज कराए बयान एमयू के वित्तनियंत्रक रवि शंकर डिकाटे पर कथित तौर पर अभद्र व्यवहार के गंभीर आरोप लगाते हुए आउटसोर्स महिला कर्मियों ने हालहीं में कुलसचिव को ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन में आउटसोर्स महिला कर्मियों ने आरोप लगाया था कि उन्हें आए दिन वित्तनियंत्रक द्वारा परेशान किया जा रहा है। शिकायत में वित्त नियंत्रक पर आउटसोर्स महिला कर्मियों को कथित तौर पर अत्यंत अमर्यादित अपशब्द कहने का आरोप लगाया गया था। इस मामले में बुधवार को आउटसोर्स महिला कर्मियों ने अपने बयान दर्ज कराए।