- Cupido filippino Evaluation nel 2020: Functions , Professionals , Drawbacks
- What Rewards May I Win? Huuuge Casino Help Cente
- Partners Can Share Their Love of Flora & Fauna al Peggy Notebaert Nature Museum di Chicago
- भगोरिया में शामिल हुए कांतिलाल भूरिया
- कांग्रेस के बैंक खातों को सीज करने पर कमलनाथ बोले-सरकार निचले स्तर पर उतर आयी है
शिवराज और सिंधिया में मंत्रियों के विभाग बंटवारे को लेकर मची खींचतान
मंत्रिमंडल विस्तार का 7 दिन से अधिक का बीता समय, नहीं मिल पा रहा मंत्रियों को विभाग
भोपाल. विधायकों की खरीद फरोख्त कर भाजपा ने किसी तरह से प्रदेश में सरकार बनाई। 100 दिन बाद शिवराज मंत्रीमंडल का विस्तार भी हो गया लेकिन विभागों का बंटवारा अभी तक नहीं हो सका है। मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण के सप्ताह भर से अधिक का दिन बीत जाने के बाद भी मंत्रियों के विभागों के बंटवारे नहीं हो पाया है। जिसकी मुख्य वजह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच आपसी खींचतान मानी जा रही हैं। मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं होने पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तंज कंसा है। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा- मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के 8 दिन पूरे हुए। विभाग आवंटन के लिए सीएम का वर्कआउट खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। क्या टाइगर नख-दंत विहीन, दीन-हीन हो चुका है ? देखते हैं कौन अपनी टेरेटरी छोड़कर भागता है।
2 जुलाई को हुआ था शपथ समारोह
2 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में 28 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इनमें से 9 मंत्री सिंधिया खेमे के तीन मंत्री कांग्रेस से आए हुए। जबकि बाकी बीजेपी के थे। 28 में से 20 मंत्री कैबिनेट स्तर के जबकि आठ मंत्रियों को राज्यमंत्री बनाया गया है।
इसलिए नहीं हो पा रहा बंटवारा
सूत्रों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया यह चाहते हैं कि सरकार में मलाईदार डिपार्टमेंट उनके समर्थक मंत्रियों को दिए जाएं। जबकि शिवराज सिंह चौहान ऐसे डिपार्टमेंट अपने खेमे के मंत्रियों को देना चाहते हैं। यही वजह है कि फैसला दिल्ली पर छोड़ा गया है। लेकिन अभी तक विभागों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी है।
हाईकमान के पास पहुँची सूची
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने कुछ मंत्रियों से विभागों को लेकर चर्चा भी की है, जिसमें उन्होंने अपनी प्राथमिकता बता दी है। माना जा रहा है कि प्रदेश संगठन से चर्चा के बाद अब अंतिम निर्णय लेने के लिए एक बार फिर केंद्रीय संगठन से संवाद किया जा रहा है।
विभाग के बंटवारे पर अड़े दोनों बड़े नेता
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब विभागों का फैसला भी केंद्रीय नेतृत्व के हाथ में चला गया है। दिल्ली में दो दिन की मशक्कत के बाद भी यह तय नहीं हो सका कि भाजपा के पास कौन से विभाग रहेंगे और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे में क्या जाएगा? बताया जा रहा है कि ज्यादा झगड़ा नगरीय विकास, पीडब्ल्यूडी, राजस्व, स्वास्थ्य, परिवहन, जल संसाधन, पीएचई, वाणिज्यिक कर, आबकारी, स्कूल शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग को लेकर है। सिंधिया अपने खेमे के नेताओं को कई बड़ा पद दिलाना चाहते हैं।