यहाँ दशहरे से 6 महीने पहले ही रावण के पुतले की नाक काट के कर देते हैं उसका अंत

“बुराई पर अच्छाई की जीत” का प्रतिक है दशहरा का त्यौहार. देश के हर कोने में इसे अपने अंदाज से सेलिब्रेट किया जाता है. मध्य प्रदेश के रतलाम में एक ऐसा गांव है जहां पर लोग दशहरे से छह महीने पहले ही रावण के पुतले की नाक काट कर उसका अंत कर देते हैं. इस गांव में शारदीय नवरात्रि के बजाय गर्मियों में पड़ने वाली चैत्र नवरात्रि में रावण के अंत की परंपरा है. यहां का दशहरा एक और वजह से भी बहुत खास है क्योंकि यहां हिंदू और मुस्लिम साथ मिलकर इस पर्व को मानते हैं.

इंदौर से करीब 190 किलोमीटर दूर चिकलाना गांव में इस परंपरा को एक परिवार के लोग सदियों से निभाते आ रहे हैं. इस परिवार के सदस्य ने बताया कि चैत्र नवरात्रि की यह परंपरा मेरे पुरखों के जमाने से निभायी जा रही है. इसके तहत गांव के एक प्रतिष्ठित परिवार का व्यक्ति भाले से रावण की मूर्ति की नाक पर वार कर इसे सांकेतिक रूप से काट देता है.

बता दें कि करीब 3,500 की आबादी वाला चिकलाना गांव हिंदू बहुल क्षेत्र है लेकिन यह बात इसे अन्य स्थानों से अलग करती है कि चैत्र नवरात्रि के अगले दिन रावण की नाक काटने की परंपरा में गांव का मुस्लिम समुदाय भी पूरे उत्साह के साथ मददगार बनता है. चिकलाना के उप सरपंच हसन खान पठान बताते हैं कि इस परंपरा में सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं. इस दौरान मुस्लिम समुदाय भी आयोजकों की हर मुमकिन मदद करता है और पूरे गांव में त्योहार का माहौल होता है. हमारे गांव में पहले इस परंपरा के लिये हर साल रावण का मिट्टी का पुतला बनाया जाता था, लेकिन तीन वर्ष पहले हमने करीब 15 फुट ऊंची स्थायी मूर्ति बनवा दी है जिसमें 10 सिरों वाला रावण सिंहासन पर बैठा नजर आता है.

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